अथाह अंधकार में
तुम मेरे हाथ लगी
सुलगी मंद्र आंच
निपट भोली-भाली मोमबत्ती ।
अथाह अंधकार
अभी तक बढ़ता जा रहा हूं मैं
उबारे हवा से तुम्हारी जोत
उबरता खुद उजियारे तुम्हारे
पैरों लिपटती विपदाओं से !
अनुवादः नीरज दइया