उमड़, फट पड़ मेघ
आशिष राशि राशि बरसे!
विरहिनी के, कृषक के,
मेरे नयन क्यों तरसें?
भिगो दे! मोर, पिक, कवि के
सभी के हिये हरसें
धूसर धरा सरसे!
उमड़, फट पड़ मेघ...
उमड़, फट पड़ मेघ
आशिष राशि राशि बरसे!
विरहिनी के, कृषक के,
मेरे नयन क्यों तरसें?
भिगो दे! मोर, पिक, कवि के
सभी के हिये हरसें
धूसर धरा सरसे!
उमड़, फट पड़ मेघ...