मैं कविताएँ लिखता हूँ
पर उनको कोई नहीं छापता
एक दिन ऐसा ज़रूर आएगा जब छपेंगी मेरी कविताएँ।
मुझे इन्तज़ार है एक चिट्ठी का
जिसमें आएगी कोई अच्छी ख़बर
हो सकता है उसके आने का दिन वही हो
जिस दिन मैं लेने लगूँ आखिरी साँसें...
पर ये हो नहीं सकता
कि न आए वो चिट्ठी।
दुनिया सरकारें या दौलत नहीं चलाती
दुनिया को चलाने वाली है अवाम
हो सकता है मेरा कहा सच होने में लग जाएँ
सैकड़ों साल
पर ऐसा होना है ज़रूर
अँग्रेज़ी से अनुवाद — यादवेन्द्र