Last modified on 9 अप्रैल 2014, at 17:27

उम्र बहुत अब जी ली जी ली / देवी नांगरानी

उम्र बहुत अब जी ली जी ली
नब्ज़ चले है ढीली ढीली

डूब रही है दिल की धड़कन
आँखें हुई हैं नीली नीली

ख़ौफ दिया है किस आहट ने
पड़ गई रंगत पीली पीली

कहता क्या गुड़ खाकर गूँगा
जिसने जबाँ ही सी ली सी ली

यूँ तो सहरा है मेरा दिल
फिर भी है आँखें गीली गीली

तिनकों जैसा तन है मेरा
आग लगाये तीली तीली