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उल्टे पाँव / सीमा संगसार

कहते हैं
उल्टे होते हैं
भूतनी के पाँव
क्यों न हो
उल्टे पाँव वापस जो आती हैं
स्त्रियाँ
सीधे शमशान घाट से—

सौ व्रत व पुण्य भी
जो कमाया उसने ज़िन्दगी भर
आरक्षित न करा सकी
स्वर्ग में
अपनी जगह

अधजली लाश
फंदे पर झूलती औरतें
कहाँ छोड़ कर जा पाती है?
अपनी यह दुनिया

प्रसव पीड़ा से कराहती
ये औरतें भी
वापस आ जाती हैं
उल्टे पाँव
अपने दुधमूंहे बच्चों के पास

घर की चारदिवारी
जो कभी लांघ न सकी
सीधे पाँव
अपनी ज़िन्दगी में
बरबस खिंची चली आती है
स्वर्ग लोक से
उल्टे पाँव—

लोग जो डरते नहीं जीते जी
औरतों से
डरावनी हो जाती हैं
ये औरतें
मरने के बाद

चूड़ैल बनकर करती हैं
अट्ठाहास
शमशान घाट से

उल्टे पाँव भागी हुई औरतें