उसका स्वार्थ मुझसे नहीं सधा
वे मेरे पीछे पड़ गये
और मैं इस बात की चिंता किये बिना
उस एक आदमी की खोज में लग गया
जो शहर आया था
और शहर में ही खो गया था।
मुझे प्रतीक्षा थी
वह शहर से खुद हीं निकल आयेगा
लेकिन बरसों की प्रतीक्षा के बाद
मैंने यह जाना
कि इस शहर में आया हुआ आदमी
लौटता नहीं है।
यही हुआ भी
शहर के दस्तुर के अनुकूल
वह वहीं फंस गया
हमेशा के लिये
वहीं रुक गया
यह जानते हुए भी
कि वह लाखों लोगों की भूख
अपनी मुट्ठी में बन्दकर
इस शहर में आया है।