बिना तार का
सितार है
उसकी देह,
न दिन में बजी
न रात में,
जब भी दिखी
दिन में कजरारी
रात में
सावनी अँधियारी दिखी
न सुबह हुई उसमें
न शाम
बिना तार का
सितार है
उसकी देह,
न दिन में बजी
न रात में,
जब भी दिखी
दिन में कजरारी
रात में
सावनी अँधियारी दिखी
न सुबह हुई उसमें
न शाम