मकान
घर बन जायेगा
नन्हीं चिड़िया में
गायेगा
दीवारों पर पसरा
सन्नाटा
पत्थर हुआ मन
नये उगे कोपल में
कुनमुनायेगा
एक उसके आने से
दफ्तर से लौटती
शाम ढले
सूने दरवाजे पर
लटका ताला खोलती
सोचती है वह
मकान
घर बन जायेगा
नन्हीं चिड़िया में
गायेगा
दीवारों पर पसरा
सन्नाटा
पत्थर हुआ मन
नये उगे कोपल में
कुनमुनायेगा
एक उसके आने से
दफ्तर से लौटती
शाम ढले
सूने दरवाजे पर
लटका ताला खोलती
सोचती है वह