उसके चेहरे पर
मुस्कराहट का महासागर था
उसकी
नमकीन हँसी में
शंखों से लदी नावें थीं
वहाँ मछुआरे नहीं थे
इसलिए
वह स्वतंत्र मीन-सी
फिसल-फिसल जाती थी
मेरे जीवन से
उसके चेहरे पर
मुस्कराहट का महासागर था
उसकी
नमकीन हँसी में
शंखों से लदी नावें थीं
वहाँ मछुआरे नहीं थे
इसलिए
वह स्वतंत्र मीन-सी
फिसल-फिसल जाती थी
मेरे जीवन से