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उसने कहा कि धत् / अशोक अंजुम

मैंने कहा कि प्यार है उसने कहा कि धत्!
क्या मेरा इंतज़ार है उसने कहा कि धत् !

उसने कहा कि शाम को आओगे बाग़ में
मैंने कहा बुखार है उसने कहा कि धत्!

उसने कहा कि खोलो टिफिन, क्या है दिखाओ
मैं बोला बस अचार है उसने कहा कि धत्!

जानम तुम्हारी छत पे जो उस रोज़ मिले थे
अब तक चढ़ा खुमार है उसने कहा कि धत्!

चाहत रहेगी जब तलक 'लिव इन' में रहेंगे
क्या आपका विचार है उसने कहा कि धत्!

मैंने कहा कि जान भी दे दूं जो बोल दो
दौलत न बेशुमार है उसने कहा कि धत्!

जिस दिन से मुस्कुरा के मुझे तुमने निहारा
'अंजुम' हुआ शिकार है उसने कहा कि धत्!