अंधेरे रास्तों के पार
प्रकाश की जो तेज धार
बुला रही है बार-बार
उसी में होकर एकसार
मैं जल उठी हूँ रोम रोम
मैं बज उठी हूँ तार-तार
अंधेरे रास्तों के पार
प्रकाश की जो तेज धार
बुला रही है बार-बार
उसी में होकर एकसार
मैं जल उठी हूँ रोम रोम
मैं बज उठी हूँ तार-तार