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उस की आँखों में तमन्ना-ए-सहर रख देना / मज़हर इमाम

उस की आँखों में तमन्ना-ए-सहर रख देना
सीना-ए-शब में किसी बात का डर रख देना

आज गुज़रेगा इसी सम्त से वो महर-ए-बदन
दिल रस्ते में ज़रा चंद शजर रख देना

ये ना कहना कि अँधेरा है बहुत राहो में
उस से मिलना तो हथेली पे क़मर रख देना

उस को अशआर सुनाना तो करामात के साथ
अपने टूटे हुए लफ़्ज़ों में असर रख देना
 
वारदातें तो कई शहर में गुज़री होंगी
आज अख़बार में मेरी भी ख़बर रख देना

जिस वरक़ पर है हदीस-ए-लब-ओ-रूख़्सार रक़म
उस वरक़ पर कोई बर्ग-ए-गुल-ए-तर रख देना

एक महताब दरख़्शाँ है सर-ए-बाम-ए-ख़याल
मेरी आँखो में भी नैरंग-ए-नजर रख देना

लाला-ए-नम से तराशे वो कोई पैकर-ए-संग
दस्त-ए-सन्नास में ये भी हुनर रख देना