बारिश की रिमझिम
चारों तरफ फैली हरियाली
सृष्टि का अद्भुत, नैसर्गिक सौंदर्य
वह छोटा-सा गाँव
गाँव के मध्य लहराता पीपल का पेड़
छोटा-सा मन्दिर
पोखर में उड़ते दूधिया बगुले
स्वतः खिल उठीं
असंख्य जल कुंभियाँ
बावजूद इसके
ग्रामीण स्त्रियों की पीड़ायें
अदृश्य हैं
उनका घर वाला
शहर गया है
मजूरी करने
आएगा महीनों बाद
किसी पर्व पर
लायेगा कुछ पैसे
कुछ खुशियाँ/कुछ रोटियाँ
जायेगा पुनः मजूरी करने
़ऋतुएँ आयेंगी-जाएँगी
शहर से लोग आयेंगे
गाँव के प्राकृतिक सौन्दर्य का,
खुशनुमा ऋतुओं का आनन्द लेने
गाँव की नारी
बारिश में स्वतः उग आयी
मखमली हरी घास
गर्मियों में खिल उठे
पलाश, अमलतास/पोखर ,जलकुंभियाँ
आम के बौर/कोयल की कूक
इन सबसे अनभिज्ञ
प्रतीक्षा करेगी
किसी पर्व के आने का।