हरा हूँ तो पेड़ का हूँ
झरा तो हवा का हूँगा
मरा तो जला देगी आग
राख धरती हो जाएगी
याद तक नहीं आएगी
जिसकी कामना हूँ मैं
उस जल की—
जो मुझ में
जल गया होगा ।
—
7 अप्रैल 2009
हरा हूँ तो पेड़ का हूँ
झरा तो हवा का हूँगा
मरा तो जला देगी आग
राख धरती हो जाएगी
याद तक नहीं आएगी
जिसकी कामना हूँ मैं
उस जल की—
जो मुझ में
जल गया होगा ।
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7 अप्रैल 2009