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उस तरफ / विश्राम राठोड़

जलन इस क़दर थी की, हम भी जल गए
और समय आतें आते, हम भी बदल गए

ना फुरसत थी ज़माने की, ना रूकसत थी ठिकाने की
एक पेट पालने के लिए,हम भी कमाने को निकल गए

मैं भी यूँ नहीं निकला , उस रस्ते की तरफ
वास्ता यह भी था, नहीं निकलगो तो, जाओगे किस तरफ

यूँ नहीं मोड़ पर चौराहे दिखते
दो रास्ते भी निकले थे, दो रास्तो की तरफ

रात होती है तब भी, हमें उजाला ही दिखता
क्योंकि हमे भी कमाना है, मेरी माँ देख रही, उस पार उस तरफ
ना जाने कोन-सी टकटकी है , मेरी नज़र में
वो बन्दा दुर से दिख जाता है, जो जा रहा उस तरफ

लगता है वह भी आज ही घर पहली मर्तबा निकला था
घर से
इकलौता था फिर भी कमाने जा रहा उस तरफ

उसके आसुंओ की बेबाकी हमे भी जवाब दे देती
जहाँ वह आज निकला था,
मै भी क ई साल पहले निकल गया उस तरफ