तस्वीरें आयीं हैं
पोते-पोतियों की
सुबह की डाक से
साल छः महीने में
पहुँच ही जाती हैं !
पर
वे नहीं आते
मन कातर हो उठा
दरवाज़े को अधखुला कर
खड़ी रही
सड़क के उस पार से आ रही
थी
हरसिंगार की महक !
धूल,धूआँ सबको दबाकर
दूर से
तस्वीरों की तरह उस पार से
तस्वीर न होगा तो न होगा
ह्दय !