दिन का पन्ना पलटता हूँ मैं
और लिखता हूँ वह सब
जो तुम्हारी बरौनियाँ मुझ से कहती हैं
मैं नोट करता हूँ तुम्हारी बात
अन्धेरे की सच्चाइयाँ
अन्धेरे के सबूत चाहता हूँ मैं
पीना चाहता हूँ काली शराब
मेरी आँखें लो और उन्हें कुचल दो
रात की एक बून्द
तुम्हारी छाती पर टपकती है
गुलाबी छाती का रहस्य उभर आता है
अपनी आँखें बन्द करके
उन्हें खोलता हूँ मैं
तुम्हारी आँखों में
मैं जागता हूँ
तुम्हारे गहरे लाल बिस्तर पर
तुम्हारी ज़ुबान पर
वहाँ फ़व्वारे हैं
तुम्हारी रन्ध्रों के बग़ीचे में
रक्त का मुखौटा पहनकर
मैं तुम्हारे विचारों से गुज़र जाऊंगा
स्मृतिलोप मुझे ले जाएगा
जीवन के उस पार