थोड़ा-थोड़ा
सब होना
क्या होना है?
कुछ भी तो नहीं
यूँ ही, बस, जी लेना है
गहरा जितना गया
वही उतना ऊँचा हुआ
सतह पर रहकर
किसी ने
कोई तल नहीं छुआ
गहरे और गहरे में
कोई हल है
वहीं कहीं
शायद
ऊँचाई का तल है
थोड़ा-थोड़ा
सब होना
क्या होना है?
कुछ भी तो नहीं
यूँ ही, बस, जी लेना है
गहरा जितना गया
वही उतना ऊँचा हुआ
सतह पर रहकर
किसी ने
कोई तल नहीं छुआ
गहरे और गहरे में
कोई हल है
वहीं कहीं
शायद
ऊँचाई का तल है