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ऊँट पर चूहा / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

चूहा एक ऊँट पर चढ़,
झटपट चला बहादुरगढ़।
राह में गहरा ताल पड़ा,
चूहे का ननिहाल पड़ा।
चूहा खा-पी सो गया,
ऊँट नहाकर खो गया!