ऊधौ देय सुपारी / संजय चतुर्वेद

हम नक्काद सबद पटवारी

सरबत सखी निजाम हरामी हम ताके अधिकारी

दाल भात में मूसर मारें और खाएँ तरकारी

बिन बल्ला कौ किरकिट खेलें लम्बी ठोकें पारी

गैल गैल भाजै बनबारी ऊधौ देत सुपारी ।

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