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ऊषा आएगी / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

1
कोई न इच्छा
गले लगके रोएँ
दुख या सुख में।
2
चले न जाना
रूह में ही उतर
छुप तू जाना।
3
बीते वसन्त
खो गए तुम आके
पाऊँ मैं कैसे!
4
रोती शिलाएँ
कहाँ गया तापस
धूनी भी सुनी।
5
ऊषा आएगी
रोकरके गाएगी
भीगेंगी शिला।
6
हम वर लें
ऐसा मिल करलें
पल को मिलें।
7
पूछता मौन
तुम मेरे हो कौन
क्या क्या बताऊँ!
8
क्या कुछ करूँ!
दुःख तेरे मैं हरूँ
चैन पा जाऊँ।
9
माथे की पीर
अंक में लेकरके
धरूँगा धीर।
10
व्यथा तुम्हारी
कर लूँ सब पान
दे दूँ मुस्कान।