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ऊ नै लौटलै / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

ऊ शहर एैलेॅ
आरो शहरे में रही गेलै
ओकरा प्रतीक्षा छेलै
शहर में खोय गेलोॅ ऊ आदमी
गाँव के मांटी रोॅ गंध नै भूलतै
मतुर ऊ नै लौटलै
आरोॅ वें बढियां सें जानी गेलै
कि यै शहरोॅ में एैलोॅ आदमी
लौटै नै छै

ई जानी केॅ भी ऊ नै लौटलै
कि वें लाख-लाख लोगोॅ के भूख
अपना मुट्ठी में बंद करी केॅ
यै शहरोॅ में
एैलोॅ छै ।