आव ऋतुराज!
एैजावा
भैनैं किलै छां खड़ा?
भितैन बैजावा।
ऋतुराज!
उल्यार को
आसण स्वीकारा
भावों को
पुष्पहार ग्रहण कारा
झिझकणां किलै छां
अपणुघौर समझी
झपगै बैजावा। आवा....
ऋतुराज!
छै जावा
हम्हरू घर गौं
खेती-पाती
गोठ-गुठ्यार
मौं -मनख्यात अर
हमरि ज्यू-ज्यानम
रंगमत्तु उजास
दे जावा। आवा......
हम्हरि डाळि-बूट्यों
घौर-बूण
गाड़-गदेरा
पौन-पंछ्यों
गौड़ि-भैंस्यों
साग-सगोड्यों
पाणि-पंदेरौं
अपणां रंग म
छतपत्त कैकि
रंगै जावा। आवा.....
ऋतुराज!
हम्हरि बोलि
हम्हरि भाषा
हम्हरा रीति-रिवाज
तीज-त्यौहारों
मेळा-खौळौं कि
पुरणि, बिसरीं थाति थैं
दुबरा बौडैकि
रौं -रंगत देजावा
।आवा....
ऋतुराज!
हम्हरा घर गौं से
बिरूट हुयां मनख्यों
दिलों म गौं की खुद
बौडै़ जावा
बिरड्या मनख्यों को
घरबौडु कै जावा। आवा....