एकटा सामान्य जंकशन
एकटा सामान्य ट्रेन
द0 पू0 रे0... द0 दू0 रे0... द0 पू0 रे0
अन्तिम श्रावण केर स्निग्ध आर्द्र परिवेश
निराकुल प्लेटफार्म
जनविरल मोसाफिरखाना
बीच बीचमेँ अवैत जाइए
गोटेक - आधेक आदिवासी चेहरा
केहन दीब लगइए ई
एकटा सामान्य जंक्शन
चुपचाप ससरि गेल
नजरिक सोझासँ
एकआ सामान्य ट्रेन
स्लीपिंक कोचक
समानान्तर बर्थ पर
सूतलि ओहिना, पहुँचि जइतो
ओ बेचारी कनी काल मेँ चाकुलिया
एखन उतरवा काल, अलक्षिते
नमस्कार क’ आएल छिअइन
ओहि सुमुखी - सुदर्शना केँ
मोन होइए रहि रहि
भने होइए अपना बर्थ पर पड़ले पड़ल
अवचेतनमेँ करैत ओहिना गपशप
चल गेल रहितहुँ चाकुलिया