Last modified on 11 जून 2024, at 22:32

एक अतिरिक्त छुअन‌ / केतन यादव

एक छुअन वह
जो तुमने अपनी रखी थी मेरे कंधे पर
एक वह जो तुम्हारे हाथ हटाने के बाद
अबतक छू रही मुझे

एक डर में भीगी हुई ख़ुशी
आशंकाओं के झोंकों से सिकुड़ती
पर यह कँपकपी
भीतर मन में दबा लूँगा
ताकि तुम्हारे हाथों से छनकर आई सिहरन
न छेड़े कोई तार , जिससे
सामने, दृश्य में डूबी, तुम
विलग ‌हो जाओ, अपने आनंद‌ से
वह छुअन, वह प्रेमिल वज्रपात
सह लूँगा मैं फिर से

वह छुअन
जो तुम्हारे पहले मैसेज पर थमी थी
की-पैड के अक्षरों पर धड़कती
वह, जो बहुप्रतीक्षित कॉलबैक
को उठाने पर छू गयी थी
कितनी संभावनाओं को

वह छुअन
जो खयाल में जाने से पहले
और वहाँ से निकलने के बाद भी है
वह अतिरिक्त छुअन
जो तुम्हारी अनगिनत छुअन की
स्मृति में ताज़ा है,
एक अतिरिक्त।