एक उबाऊ ज़िन्दगी / अरविन्द श्रीवास्तव

हमारे दरम्यान एक थकी हुई आह बची है
बदन पर रेंगते हुए चीटी भर अहसास
कदम दर कदम एक उदासी भरी सांझ
समुद्र के सीने पर मंदगति बढ़ता
एक पुराना मालवाहक

कैम्पस में मुरझाया यादों का एक गुलाब
कमीज की एक टूटी बटन
जैसे एक उबाऊ जिंदगी
बढती है
सहमति की ओर !

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