हवा
कुहरा पारभासी
रोशनी नीली
बरसती जा रही है
जग रहा है
वासना का
व्यग्र वैभव,
यह हृदय का ताप
वाष्पित कर रहा है
अश्रु को या स्वेद को ?
हम नमक की डली हैं
ले चलो हमको उठाकर।
हवा
कुहरा पारभासी
रोशनी नीली
बरसती जा रही है
जग रहा है
वासना का
व्यग्र वैभव,
यह हृदय का ताप
वाष्पित कर रहा है
अश्रु को या स्वेद को ?
हम नमक की डली हैं
ले चलो हमको उठाकर।