चम्पई इशारों 
से लिख-लिख अनुबन्ध, 
एक गन्ध 
सौंप गयी सौ-सौ सौगन्ध। 
चितवन की चर्चायें 
महफिल में झूमती, 
गलियों की मनुहारें 
ग्रन्थों में गूँजती। 
वादे की 
गणित लिखे प्यार पर निबन्ध। 
बाँहों भर स्वीकृतियाँ 
गतिविधियाँ ले गयीं, 
गन्धवती मुस्काने 
खामोशी दे गयीं। 
सिरहाने 
बतियाते छुअनों के छन्द। 
यादों के हरसिंगार 
रात-रात जागते, 
इठलाती पूनम से 
एक रात माँगते। 
रातों को 
बहुत खले दिन के सम्बन्ध, 
चम्पई इशारों 
से लिख-लिख अनुबन्ध।