आगाही
आओ
हम तुम बाँटें
एक दूसरे को गुलाबी रोशनी में
जो एक हस्ताक्षर की तरह
छोड़ जाती है अपनी पहचान
और
जल कर दीये की लौ सी
कातर हथेलियों से अंगोरती रहती है
अंधेरे।
आगाही
आओ
हम तुम बाँटें
एक दूसरे को गुलाबी रोशनी में
जो एक हस्ताक्षर की तरह
छोड़ जाती है अपनी पहचान
और
जल कर दीये की लौ सी
कातर हथेलियों से अंगोरती रहती है
अंधेरे।