द फ़ाल आफ़ ए स्पैरो यानि विलुप्त होती हुई गौरैया के बारे में कुछ नोट्स
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एक चिड़िया की आत्मा
अक्सर मेरे ऊपर सवार हो जाती है
वह मुझे उड़ा ले जाती है
पसीजे बादलों के बीच
हवा में तैरते हुए दिखाती है मुझे
नीचे बहती नदी
जिसमें कोई चिड़िया चोंच में पानी भर रही होती है
एक टुकड़ा जंगल
जिसमें कोई चिड़िया गा रही होती है
बारिश का लोकगीत
एक बिस्वा ज़मीन
जिसमें हल-बैल से
खेत जोत रहा होता है अधेड़ किसान
दिखाती है एक घर
और मुझे उस घर की मुंडेर पर बिठाकर
छोड़ जाती है
मैं मुंडेर पर चिड़िया की तरह बैठा रहता हूँ
चिड़िया की जगह
(’द फ़ाल आफ़ ए स्पैरो’ प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डा. सालिम अली की आत्मकथा का शीर्षक है