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एक चितराम औ ई / सांवर दइया

कांई ठा कांईं जची म्हारै
डायरी खोल राख्या सामै
अंतस रा ऐ आखर अमोला

सोच्यो-
राजी हुवैली तूं
काळजै री कोर ई तो ही
काळजै में चौफेर

सुण परी
मुळकी तो सरी
पण उठती बोली
हाथां रै सागी लटकै सागै-
कीं काम तो आथ कोनी
बैठा-बैठा बाई गट्टी बातां
चुगबो करो !

चाल रे जीवड़ा !
बंद कर डायरी
बां चितरामां भेळौ
एक चितराम ओ ई सही !