किसी की गालों पर
रगड़ते हुए रंग
मेरे हाथ कांप जाते हैं
निगाहें टिक जाती हैं
कमरे की दीवार पर टंगे
विश्व के नक़्शे पर
जहाँ जगह-जगह
उग आये हैं काले धब्बे
आकाश में मंडराने लगे हैं
बी-52 बमवर्षक और युद्धक विमान
गरजने लगे हैं पैटन टैंक
चीखने लगे हैं
इसराइल, निक्सन, लोन-नोल, थ्यू... !
मैं देखता हूँ
काले धब्बों को धोने के लिए
सड़कों पर निकल आये हैं
वियतनाम के बच्चे
मैदानों की ओर
दौड़ पड़ी हैं वियतनामी नारियाँ
मै सुनता हूँ
तीसरी दुनिया के जंगलों, पठारों और मैदानों में
एक ही गूंज
वियतकांग...वियतकांग
हमारा नाम, तुम्हारा नाम
वियतनाम...वियतनाम
और हिन्दुस्तान की धरती से उठता
एक ही नारा
आमार बाड़ी, तोमार बाड़ी...
नक्सलबाड़ी, नक्सलबाड़ी
मैं गवाह बन रहा हूँ
इतिहास की इस अदभुत घटना का
कि बंगाल की खाड़ी से उदित होता
अंगड़ाई लेता
एक नया देश...बांगला देश
और मेरे हाथों ने ले लिए हैं
अपनी बांयी हथेली पर
एक चुटकी अबीर।