Last modified on 8 नवम्बर 2009, at 11:48

एक टुकड़ा आसमान / आकांक्षा पारे

लड़की के हिस्से में है
खिड़की से दिखता
आसमान का टुकड़ा
खुली सड़क का मुँहाना
एक व्यस्त चौराहा
और दिन भर का लम्बा इन्तज़ार।

खिड़की पर तने परदे के पीछे से
उसकी आँखें जमी रहती हैं
व्यस्त चौराहे की भीड़ में
खोजती हैं निगाहें
रोज एक परिचित चेहरा।

अब चेहरा भी करता है इन्तज़ार
दो आँखें
हो गई हैं चार।

दबी जुबान से
फैलने लगी हैं
लड़की की इच्छाएँ

अब छीन लिया गया है
लड़की से उसके हिस्से का
एक टुकड़ा आसमान भी।