एक दिन
टूट जाता है
अक्षरों का पुल
और फ़िर हम
इन्सान नहीं
सिर्फ़
हिंदू-मुस्लिम बन जाते हैं।
मूल राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा
एक दिन
टूट जाता है
अक्षरों का पुल
और फ़िर हम
इन्सान नहीं
सिर्फ़
हिंदू-मुस्लिम बन जाते हैं।
मूल राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा