आंसू झन टपकावे 
सुरता के अंचरा मा 
तुलसी के चौंरा मा
एक दिया घर देवे। 
मोर लहूट आवट ले 
सगुना संग गा लेवे 
रहिबे झन लांघन तै 
नून भात खा लेवे 
बांधि बांधि रखिवे झन 
आंखी के पूरा ला 
आंसू के नंदिया मा 
एक दिया धर देवे 
गांव हंसए देख देख 
अइसन तै रोवे मन 
कुधरी के भांठा मा 
आंसू ला बोबे झन 
झन पोसे रहिबे तै 
सपना के पीरा ला 
निंदिया के डेहरी मा 
एक दिया धर देवे।