एक नाज़ुक सतह पर
बहुत कोमलता से
लिखी हुई हैं मेरी सबसे सुन्दर पँक्तियाँ
मेरी जीभ की नोक से
तुम्हारे तालू पर
तुम्हारी छाती पर बहुत छोटे अक्षरों में
तुम्हारे पेट पर
लेकिन, प्रिय, मैंने लिखा है उन्हें
बहुत
आहिस्ता...आहिस्ता...!
क्या
अपने होठों से
मिटा सकती हूँ मैं
तुम्हारे विस्मयादिबोधक चिन्ह ?
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल