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एक पत्थर को निशाना साधकर छोड़ा गया / विनय कुमार

एक पत्थर को निशाना साधकर छोड़ा गया।
आईना टूटा नहीं था, आईना तोड़ा गया।

मैं न था तब भी वहीं थे, हैं जहाँ पर आज वे
मैं गया तो बोलते हैं राह का रोडा़ गया।

संगमरमर की तरह चिकनी कडी बेजान थी
पर ज़मीने वक़्त को आराम से कोड़ा गया।

भीड़ ने समझा नमस्ते, मिल गयी धमकी मुझे
आज हाथों को सभा में इस तरह जोड़ा गया।

बात से बातें निकलने के शिगूफे़ फिर छुटे
एक सीधी बात को कुछ इस तरह मोड़ा गया।

देखकर हालात जिंदा सिर किनारे हो गए
सरकटे इंसान के सिर ठीकरा फोड़ा गया।