ओह कितना छोटा ख़त
तुमने भेजा है मेरे ख़त के जवाब में
नोट-बुक में से फाड़ा गया
एक छोटा-सा पृष्ठ भी
तुम पूरा नहीं भर सकीं
तुम्हे कोई शब्द प्यार का
नहीं मिला
कोई मार्मिक शब्द
जो दुनिया की सारी चीज़ों में
गरमी और रोशनी ला देता है
निश्चय ही
तुम लिख सकती थीं
मौसम के बारे में
या और कोई बात
जिनके बारे में आदमी
अक्सर लिखते हैं
जब उन्हें आपस में कहने को
कुछ नहीं होता है
निश्चय ही
तुम ज़िक्र कर सकती थीं
शरद ऋतु के बारे में
काटेज के पास उगे
दो रोआन वृक्षों के बारे में
नंगे खेतों पर फैले
आग के धुएँ के बारे में
सिहरते आसमान में
उड़ते सारसों के बारे में
निश्चय ही
जब तक तुम ख़त को ख़त्म करतीं
उसे इन्तज़ार करना होता
जिसने तुम्हारा द्वार खटखटाया
निश्चय ही
देगची में उबलते आलू जल गए होते
या बिलौटा डोरी में उलझ गया होता
नोट-बुक सेफ़ाड़ा गया
एक छोटा-सा पृष्ठ भी
तुम पूरा नहीं भर सकीं
जब मैं तुम्हें लिखता हूँ
तब ख़त में जगह
कभी काफ़ी नहीं लगती
इसलिए उसे समाप्त करता हूँ
एक गर्म चुम्बन के साथ
जो टिकट के नीचे छुपा होता है