एक पान का पत्ता,
जा पहुँचा कलकत्ता।
पकड़े अपना मत्था,
मिला वहाँ पर कत्था।
आगे मिली सुपारी,
सबने की तैयारी।
पहुँचे फिर सब पूना,
लगा वहाँ पर चूना।
एक पान का पत्ता,
जा पहुँचा कलकत्ता।
पकड़े अपना मत्था,
मिला वहाँ पर कत्था।
आगे मिली सुपारी,
सबने की तैयारी।
पहुँचे फिर सब पूना,
लगा वहाँ पर चूना।