एक बूँद पी तृषा हमारी खो गयी
एक बूँद ऊसर में वारिध बो गयी
एक बूँद बादल बन कर नभ चूमती
एक बूँद लहरों पर लहरा झूमती
एक बूँद आँसू की? किसके दृग झरे?
(एक बूँद अंजलि में कोई क्या भरे?)
क्या वह मात्र ओस की नन्हीं बूँद थी?
या बासी बदली पर जमी फफूँद थी?
पता नहीं वह ‘‘बूँद’’ कहाँ से आ गयी।
जिसको पा, जिन्दगी पा गयी।