जैसे बून्द भर इत्र
बिखर गई हो मेज़पोश पर
जैसे छलक गया हो प्याला शराब का
ऐसी ही कोई मिलीजुली सी
गमक
फैल गई है मेरे भीतर
मैं अभी इतनी फुरसत में नहीं कि
नफ़ा-नुक़सान को माप-तौल सकूँ
जैसे बून्द भर इत्र
बिखर गई हो मेज़पोश पर
जैसे छलक गया हो प्याला शराब का
ऐसी ही कोई मिलीजुली सी
गमक
फैल गई है मेरे भीतर
मैं अभी इतनी फुरसत में नहीं कि
नफ़ा-नुक़सान को माप-तौल सकूँ