एक भूली बात-सी
फिर याद आईं तुम।
सूर्य माथे पर पसीना झिर रहा है,
पर तुम्हारा मेघ आँचल घिर रहा है;
दूर बस दो हाथ-सी
फिर याद आईं तुम।
दस्तकें दे रहीं यात्राएं दुआरों पर
चहलकदमी कर रहा हूँ मैं उसारों-भर;
बाम भागे साथ-सी
फिर याद आईं तुम।
नींद के आगोश में कब आ गया था?
किंतु अनुभव-खंड यह बिल्कुल नया था।
ठीक पिछली रात-सी
फिर याद आईं तुम,
एक भूली बात-सी
फिर याद आईं तुम।