मानसरोवर की
गहराइयों में बैठे
हंसों ने पाँखें दीं खोल
शांत, मूक अंबर में
हलचल मच गई
गूँज उठे त्रस्त विविध-बोल
शीष टिका हाथों पर
आँख झपीं, शंका से
बोधहीन हृदय उठा डोल।
मानसरोवर की
गहराइयों में बैठे
हंसों ने पाँखें दीं खोल
शांत, मूक अंबर में
हलचल मच गई
गूँज उठे त्रस्त विविध-बोल
शीष टिका हाथों पर
आँख झपीं, शंका से
बोधहीन हृदय उठा डोल।