एक रोज़ मैंने देखा तापहीन सूर्य
और एक अनोखा दृश्य
यह दोपहर का समय था
नीलकंठ की चोंच में आग का बिम्ब
उसकी उड़ान ठीक सूरज की सीध में थी
रचनाकाल : जुलाई 1991
एक रोज़ मैंने देखा तापहीन सूर्य
और एक अनोखा दृश्य
यह दोपहर का समय था
नीलकंठ की चोंच में आग का बिम्ब
उसकी उड़ान ठीक सूरज की सीध में थी
रचनाकाल : जुलाई 1991