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एक रोमन उपनिवेश / सादी युसुफ़

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हम यूनानी थे
अरबी रेगिस्तान के छोर पर थे हमारे मकानात
लेकिन हमारे पास दो नदियां थीं और कुछ गाँव थे
और खेत जिन्हे हम नदियों के पानी से सींचा करते थे
हमारे पास कुछ कविगण थे जो छन्द रचा करते थे और स्त्रियों और फूलों की बातें किया करते थे
और किनेसरीन में हमने दर्शनशास्त्र का विश्वविद्यालय स्थापित किया
विचित्र बात यह थी कि वहां अक्सर अरस्तू के छात्र आया करते थे
वे हमें एथेंस में लिखे जा रहे नवीनतम ग्रन्थों के बारे में बताते थे
लेकिन हम यूनानी थे और किसान।
हमने कोई हथियार नहीं बनाए
न हमें अपने लड़कों को सिपाहियों में ढालना आता था
(अरस्तू के छात्रों ने हमें यह नहीं बताया की उनका अध्यापक
मकदूनियाई फिलिप के बेटे को शहर फतह करने का प्रशिक्षण दे रहा था।)
दुनिया बदलती है उन्होने कहा यहाँ तक कि सूरज भी एक दिन पश्चिम से उगेगा...
अब मैं लड़खड़ाता बोल रहा हूँ दिवास्वप्न देखता हुआ और अकेला
सिदोन में किरियाकोस को शराबखाने के भीतर।
मिट्टी का मेरा प्याला स्याह है और मेरे सारे बाल सफ़ेद।
मैं जानता हूँ पूरे एतबार के साथ मुझे कोई नहीं बता सकता
कि रोमनों ने हमारा हुक्कापानी तभी बंद कर दिया था
जब हम एक उपनिवेश बने थे।
लेकिन मुझे शक है किरियाकोस इस बात को भले से जानता है।
दुनिया बदलती है
उन्होने कहा था।

नोट्स:
1 - 'किनेसरीन' : अरब के शुरूआती खलीफाओं ने सीरिया को पांच या छः सामरिक प्रान्तों में विभाजित किया था। किनेसरीन उत्तरी सीरियाई प्रांत था|
2- 'सिदोन': लेबनान का तीसरा बड़ा नगर
3- 'किरियाकोस' : 448 ईस्वी में संत किरियाकोस यूनान के कोरिन्थ नगर में जन्मे थे। रोमन साम्राज्य के युग में एक शहीद का नाम भी किरियाकोस ही था।