एक वृक्ष मेरे हाथों में समाविष्ट हो गया है
मेरी बाँहों में अन्दर-अन्दर वृक्ष रस चढ़ रहा है
वृक्ष मेरे वक्ष में उग गया है
अधोमुखी,
डालें मुझमें से उग रही हैं-बाँहों की तरह
वृक्ष वह तुम हो
तुम हो हरी काई
तुम हो वायलेट के फूल जिन पर हवा लहराती है
एक शिशु-और इतने ऊँचे-तुम हो
और देखो तो दुनिया के लिए यह मात्र नादानी है !