माँ!
जब मैं छोटी थी
बहुत छोटी
जब खेलती थी
गुड़ियों के साथ
उड़ती थी
तितलियों के संग
भागती थी
बादलों के पीछे
हँसती थी
स्वच्छन्दता से
जब अन्तर नहीं जानती थी
लड़का और लड़की होने का
तब तुमने मुझे
क्यों नहीं बताया
कि मैं एक लड़की हूँ
इस अल्पायु के
भरे यौवन में
तुमने मुझे
लड़की होने का
दुर्भाग्य बताकर
क्यों उदासी की
काली चुनरी ओढ़ाई है
कि मैं एक लड़की हूँ।