शादी का
लाल जोडा पहनाया था
माँ ने
उसकी रंगत ठीक ही थी
पर उसमें टँके सितारे
उसकी रंगत
ढँक रहे थे
मुझे दिखी नहीं वहाँ
मेरी खुशियाँ
मुझ पर पहाड़-सा टूट पडा
एक शब्द-
शादी
बागों में सारे फूल खिल उठे
पर मेरी चुनरी की लाली
फीकी पडती गई
बक्से में बंद
बंद।