मेरे खाली सीने में उगी है
एक हरी कविता
चुपके से बढ़ती है
उसकी जड़ें
सुबह-शाम-रात
मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार
मेरे खाली सीने में उगी है
एक हरी कविता
चुपके से बढ़ती है
उसकी जड़ें
सुबह-शाम-रात
मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार