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एडजस्टमेण्ट / विष्णु नागर

ज़िन्दगी एडजस्टमेण्ट से ही चलती है
उसी से नौकरी मिलती है, पदोन्नति होती है
मालिक या अफ़सर का विश्वास हासिल होता है
दुकान चलती है
एडजस्टमेण्ट करनेवालों की ज़िन्दगी में
तूफ़ान नहीं आते, बाढ़ नहीं आती
आ भी जाए तो नुक़्सान दूसरों का होता है

एडजस्टमेण्ट करना भला -- शरीफ़ होने का लक्षण है
चरित्र का प्रमाण है
औरत का सुहाग है, तलाक़ से बचने का शर्तिया उपाय है
एडजस्टमेण्ट से ही सत्ता मिलती है, देर तक टिकती है
पैसा बनता है, लोकप्रियता मिलती है
हार्टअटैक और ब्रेन हैमरेज से बचने के लिए
डॉक्टर इसकी सलाह दिया करते हैं
एडजस्टमेण्ट करके चलो
तो दुनिया में अपनी तूती बोलती है
एडजस्टमेण्ट कर लो तो कुछ भी अश्लील
कुछ भी अकरणीय नहीं रह जाता
कुछ भी बेचैन-परेशान नहीं करता
कुछ भी,कैसे भी करना धर्म सरीखा लगता है
हत्यारे सज्जन पुरुषों में तब्दील हुए दीखते हैं
आदरणीय होकर फादरणीय हो जाते हैं
हक़ की लड़ाई नक्सलवाद लगने लगती हैं
नफ़रत फैलाना संस्कृति के प्रचार-प्रसार का
अभिन्न अंग मालूम देता है

एडजस्टमेण्ट समय की पुकार है
शास्त्रों का सार है
एडजस्टमेण्ट करना सेल्फ़ी लेने जितना आसान है
एडजस्टमेण्ट हर शहर का महात्मा गाँधी मार्ग है
एडजस्टमेण्ट कण्डोम के समान है
जिसे पहनकर अपने को ब्रहमचारी सिद्ध करना आसान है
एडजस्टमेण्ट 2002 के बाद का
सत्य है, शिव है, सुन्दर है
एडजस्टमेण्ट का पुरस्कार मिलकर रहता है
भारत माँ के सच्चे पुत्र होने का सौभाग्य मिलता है
और कुछ हो न हो मगर देश का विकास होकर रहता है
अरे विकास, विनाश नहीं, विकास।